
राहु का जन्म समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। जब असुर और देवता अमृत के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे, तब भगवान धन्वंतरि ने अमृत कलश निकाला। देवताओं ने छल से अमृत पान की योजना बनाई। लेकिन एक असुर ‘स्वर्णभानु’ ने रूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत पी लिया। तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर उसे पहचान लिया और सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
उसने अमृत का एक घूंट पी ही लिया था, जिससे उसका सिर अमर हो गया। यह सिर “राहु” के रूप में और धड़ “केतु” के रूप में जाना गया।
राहु को असुरों का सेनापति और गुरु माना गया है। यह नवग्रहों में एक विशेष स्थान रखता है, हालांकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। इसे ‘छाया ग्रह’ कहा जाता है। इसका संबंध अधर्म, छल, भ्रम, विदेशी संस्कृतियों और भौतिक सुखों से माना जाता है।
अमृतपान की घटना ने राहु को अजर-अमर बना दिया। इस कारण यह अन्य ग्रहों के समान चिरस्थायी प्रभाव डालता है, लेकिन इसका प्रभाव भ्रम और छद्म से भरा होता है।
जब राहु को पता चला कि सूर्य और चंद्र ने उसकी पहचान बताकर उसका वध कराया, तब वह उनसे बदला लेने लगा। कहा जाता है कि सूर्य और चंद्र को समय-समय पर राहु ग्रस लेता है — इसे ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहा गया है।
एक कथा के अनुसार बाल्यावस्था में जब हनुमान जी सूर्य को फल समझकर निगलने गए, तब राहु जो सूर्य को ग्रहण लगाने जा रहा था, डर गया और इंद्र के पास शिकायत करने गया। इंद्र ने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया जिससे उनका जबड़ा टूट गया। पर बाद में ब्रह्मा और अन्य देवताओं ने उन्हें अनेक वरदान दिए — जिससे वे अजर-अमर बन गए।
राहु ने तबसे हनुमान जी से भय खाना शुरू कर दिया, और यही कारण है कि राहु की शांति के लिए हनुमान पूजन सर्वोत्तम उपाय माना गया है।
भाव | नकारात्मक प्रभाव | सकारात्मक प्रभाव |
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1. | भ्रम, मानसिक अशांति | विश्लेषणात्मक बुद्धि, विदेशी संपर्क |
2. | वाणी दोष, धन की हानि | विदेशी मुद्रा से लाभ |
3. | छोटे भाई से दूरी साहस | राजनीति में सफलता |
4. | माता से कष्ट, वाहन दुर्घटना | विदेश में प्रॉपर्टी |
5. | प्रेम संबंध में धोखा | अनुसंधान, गूढ़ विषयों में रुचि |
6. | शत्रु वृद्धि, कोर्ट केस | रोगों पर विजय, गुप्त शत्रु पर नियंत्रण |
7. | वैवाहिक जीवन में धोखा | विदेशी जीवनसाथी, बिजनेस में जोखिम से लाभ |
8. | दुर्घटना, मानसिक तनाव | ज्योतिष, रहस्य विद्या में रुचि |
9. | धर्म से भ्रमित, गुरु से द्वेष | विदेश यात्रा, अंतरराष्ट्रीय कार्य |
10. | पेशे में झूठ, धोखा | गुप्त योजनाओं से सफलता |
11. | गलत मित्र, लालच | तकनीकी क्षेत्र में अचानक लाभ |
12. | मानसिक कष्ट, जेल, व्यसन | आध्यात्मिक जागरण, विदेश में सिद्धि |
1. पाराशर ऋषि के अनुसार उपाय
हनुमान चालीसा का नित्य पाठ
राहु की दशा में भगवान शिव की उपासना
काले तिल का दान
नाग पूजा और विशेष रूप से सोमवार को व्रत
2. लाल किताब के अनुसार उपाय
काले कपड़े का प्रयोग कम करें
सुरमा बहते पानी में प्रवाहित करें
काले-सफेद कंबल का दान
सरसो का तेल काले कुत्ते पर लगाना
रात में चंद्रमा की रोशनी में बैठना
राहु कंप्यूटर, इंटरनेट, साइबर क्राइम, राजनीति में छिपे षड्यंत्रों का कारक है।
राहु उच्च कोटि की तकनीकी, गुप्त विद्याओं और साइकोलॉजिकल पथों का प्रतिनिधि है।
राहु का प्रभाव असाधारण प्रतिभा, परंतु मानसिक अस्थिरता देता है।
जिनकी कुण्डली में राहु अशुभ है, उन्हें नियमित रूप से “ॐ रामदूताय नमः” का जाप करना चाहिए।
राहु के दोष से मुक्ति के लिए “हनुमान जी के चमत्कारी चांदी के लॉकेट” या “पंचमुखी हनुमान यंत्र” धारण करना लाभकारी है।
‘राहु शांति के लिए हनुमान जी का तांबे का फ्रेम और सात सिक्कों वाला सेट’ पूजन altar में स्थापित करें।
राहु की माता का नाम सिंहिका था, जो एक राक्षसी थी। उसकी एक विशेष शक्ति थी — वह किसी भी जीव की “छाया पकड़कर” उसे निष्क्रिय कर सकती थी। यह शक्ति अत्यंत दुर्लभ और भयावह मानी जाती थी।
जब हनुमान जी समुद्र लांघ रहे थे (लंका जाने के समय), तब सिंहिका ने उनकी छाया पकड़कर उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन हनुमान जी ने तुरंत पहचान लिया कि यह मायावी शक्ति है और सिंहिका का वध कर दिया।
इस घटना से यह सिद्ध होता है कि हनुमान जी, राहु की मूल शक्ति पर भी विजय प्राप्त कर चुके हैं, और इसलिए राहु की शांति हेतु हनुमान उपासना सर्वोत्तम मानी जाती है।
राहु का शरीर नहीं है, केवल सिर है। उसकी माता सिंहिका छाया पकड़ने की सामर्थ्य रखती थी। राहु स्वयं अमूर्त है — केवल छाया के रूप में कार्य करता है। अतः उसे ‘छाया ग्रह’ कहा जाता है, जो केवल मानसिक, भ्रमात्मक और अवास्तविक प्रभाव डालता है।
राहु = केवल सिर (मस्तिष्क) — यह सिर्फ सोचता है।
केतु = केवल धड़ (शरीर) — यह सिर्फ करता है।
राहु की नकारात्मक दशा में व्यक्ति सोचता है, फिर सोचता है, और फिर उल्टी दिशा में सोचता है — जिससे उसके निर्णय कभी स्थिर नहीं होते।
दूसरी ओर, केतु सोचता नहीं, बस करता है — बिना उद्देश्य के, बिना दिशा के। इसीलिए केतु के प्रभाव में व्यक्ति बिना सोचे किसी रहस्यमयी दिशा में चल पड़ता है।
आपके अध्ययन के अनुसार — और यह बहुत ही मौलिक है —
जब राहु किसी के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो, तो जो भी वह सोचता है, राहु उसे पलट देता है।
इसलिए, अगर आप सकारात्मक सोचेंगे — राहु उल्टा असर देगा और नतीजा नकारात्मक हो सकता है।
लेकिन अगर आप नकारात्मक सोचेंगे — जैसे: “मुझसे यह नहीं होगा” — राहु उसका भी उल्टा करेगा — और आप सफल हो जाएंगे।
इसीलिए राहु की दशा में —
“विपरीत मनन” (Reverse Thinking) ही सही उपाय है।
यह उपाय केवल मानसिक स्तर पर कार्य करता है और राहु के भ्रम-जाल को उलट कर मन को स्थिर करता है।
राहु और सिंहिका, दोनों हनुमान जी से पराजित हैं।
इसीलिए:
हनुमान जी की उपासना राहु के भय, भ्रम, और सोच की उलझनों से मुक्त करने का सर्वोत्तम उपाय है।
“हनुमान चालीसा”
पंचमुखी हनुमान लॉकेट
तांबे का हनुमान चित्र फ्रेम
राहु पीड़ितों के लिए 7 हनुमान सिक्कों वाला सेट